ब्यास मुनि द्विवेदी, रायपुर 29 जनवरी 2020,. एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 17 जनवरी 2020 के एक आदेश ने अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं. दरअसल सभी नगरी निकाय के ऊपर 1 अप्रैल 2020 से लंबी पेनल्टी लगाना सुनिश्चित हो गया है. एनजीटी ने सभी लीगेसी डंप साइट अर्थात पुराने कचरे डंप जैसे कि रायपुर का सरोना डंप साइट के संबंध में आदेश दिया है. कि वहां पर कचरा निपटान का कार्य जैसे कि जैवविधि, बेस्ट टू बनर्जी का कार्य 17/7/ 2019 तक चालू हो जाना था, जो कि अधिकतम जगहों पर नहीं हुआ है. अब अगर यह काम 31/03/2020 तक चालू नहीं हुआ तो 1 अप्रैल 2020 से 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले स्थानीय निकायों पर रूपये 10 लाख प्रतिमाह 5 से 10 लाख की आबादी वाले निकायों पर 5 रूपये प्रतिमाह एवं अन्य को ₹1 प्रति माह की पेनाल्टी यानी छतिपूर्ति केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल को देनी होगी।
इसके अतिरिक्त लोकल बॉडी से संबंधित सीईओ या अर्बन डेवलपमेंट विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जो भी जिम्मेदार होंगे की सी.आर. में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जावेगी। संबंधित अधिकारी के सी.आर में मुख्य सचिव टिप्पणी दर्ज करने की यह कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।



आपको बता दें कि 4 जुलाई 2017 में रायपुर नगर निगम ने एनजीटी को शपथ पत्र दिया था कि सरोना में बेस्ट एनर्जी प्लांट लगाया जाएगा। जिसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए परंतु अचानक ही अक्टूबर 2020 में सरोना के कचरे के पहाड़ को समतल कर दिसंबर तक इस पर हजारों टर्न मिट्टी डालकर वृक्षारोपण कर दिया गया. निगम ने ₹40 करोड़ की लागत से सरोना कचरा डंप के ऊपर गार्डन बनाने का निर्णय लिया है. जानकारों के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से भी पुराने कचरे डंप को बंद करने पर 15 वर्षों तक जहरीली गैस निकलती है. जिस प्रकार सरोना कचरा डम को बंद किया गया है इससे तो आने वाले 50 से 100 वर्षों तक जहरीली गैस निकलती रहेंगी। जिससे रायपुर वासियों को सांस के माध्यम से जहरीली गैसों का सामना करना पड़ेगा.



एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम को सरोना कचरा डम को केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल की गाइडलाइन के अनुसार बंद करना ही पड़ेगा जो कार्य कुछ करोड़ में हो जाता वह अब हजारों तन टन मिट्टी डालने के बाद सैकड़ों करोड़ में होगा। पर्यावरण के जानकारों के अनुसार सरोना में कचरा डंप को बंद किये जाने या निपटान में अपनायी गयी प्रक्रिया पूर्णतः पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है जिसके कारण छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल को दोसी अधिकारीयों के विरूद्ध कोर्ट में मामला दर्ज करना पड़ सकता है.
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