रायपुर (सुयश ग्राम) किशोर न्याय बोर्ड माना केम्प के नये भवन का लोकार्पण एवं उद्घाटन करते हुए छ.ग उच्च न्यायालय बिलासपुर के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी ने कहा कि इस जगह का नाम सुधार गृह है। इसका मतलब कि बच्चे यहां अपनी गलती और खुद केा सुधारने के लिए आयें हैं। बोर्ड में जो मामले चल रहे हैं, उसका निपटारा जल्दी से जल्दी हो। न्यायमूर्ति ने बच्चों को हीन भावना से बचने की सलाह दी और कई उदाहरणों के माध्यम से बच्चों को अपनी बात समझाई। उन्होने महर्षि वाल्मिीकी के डाकू से संत बनने का उदाहरण दिया। इसके अलावा भी उन्होने कई दृष्टांतों के जरिये बच्चों को जीवन जीने का ढंग और आत्मविश्वास बनाये रखने की सलाह दी।
इस दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर श्री नीलम चंद सांखला, प्रिसिंपल मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड रायपुर श्रीमती प्रियंका अग्रवाल, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त संचालक श्रीमती अर्चना राणा सेठ भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
श्रीमती अर्चना राणा ने विभाग की उपलब्धियों और किशोर न्याय बोर्ड के संबंध में हुये उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी दी।
किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्टेट श्रीमती प्रियंका अग्रवाल ने अपने कार्यकाल में किये गये कार्यों की जानकारी दी और तत्परता के साथ मामलों के निराकरण करने का प्रयास करने की बात कही।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर श्री नीलम चंद सांखला ने कहा कि, बच्चे हमारे समाज की धरोहर है, वह हमारे समाज का भविष्य है। बच्चों का संभालना और उन्हे अच्छा नागरिक बनाना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है और जब भी कोई बच्चा गलती करता है, तो इसका मतलब है कि कही किसी से चूक हुई है। इसलिये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को अच्छा माहौल दें। उन्होने बच्चों से भी गुजारिश की कि, वे अपने मन में ये न सोंचे कि उन्होने जो गलती की है उससे ही उनका जीवन तबाह हो गया, कानून उन्हें अपराधी नहीं मानता, वे अपचारी है और समाज का यह दायित्व है कि जो बच्चे यहां से बाहर जाएं तो उसको गले लगाए और अच्छे से जीवन जीने में मदद करें।
कार्यक्रम के दौरान रायपुर में पदस्थ सभी न्यायाधीशगण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के सचिव श्री उमेश उपाध्याय एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे।
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