भोपाल । एसजी न्यूज। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मशहूर अध्यात्मिक गुरु ने आज खुद खुसी कर ली। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मार ली। उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अभी तक घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
मध्य प्रदेश में भय्यू जी महाराज को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। कुछ वक्त पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। किन्तु उन्होंने वापस कर दिया था।
भय्यू महाराज का देश के दिग्गज राजनेताओं से संपर्क है। हालांकि वह शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
भय्यू जी महाराज तब चर्चा में आए थे जब 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था. इसी के बाद ही अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।
भैय्यू जी महाराज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. मध्य प्रदेश में भय्यू जी महाराज को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। कुछ वक्त पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। किन्तु उन्होंने वापस कर दिया था।
2. 1968 को जन्मे भय्यू महाराज कपड़ों के एक ब्रांड के लिए कभी मॉडलिंग भी कर चुके हैं।
3. वह दूसरे आध्यात्मिक गुरु से बिल्कुल अलग थे। वह कभी खेतों की जुताई करते देखे जाते थे तो कभी क्रिकेट खेलते हुए। घुड़सवारी और तलवारबाजी में भी वे पारंगत थे।
3. 29 अप्रैल 1968 में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में जन्मे भय्यूजी के चहेतों के बीच धारणा है कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल है। महाराष्ट्र में उन्हें राष्ट्र संत का दर्जा मिला हुआ है। वह सूर्य की उपासना करते हैं। घंटों जल समाधि करने का उनका अनुभव है।
4. भैय्यूजी महाराज के ससुर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख से उनके करीबी संबंध हैं। बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत भी उनके भक्तों की सूची में हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें संकटमोचक के तौर पर देखा जाता है।
5. भय्यूजी महाराज ग्लोबल वॉर्मिंग से भी चिंतित हैं, इसीलिए गुरु दक्षिणा के नाम पर एक पेड़ लगवाते हैं। अब तक 18 लाख पेड़ उन्होंने लगवाए हैं. आदिवासी जिलों देवास और धार में उन्होंने करीब एक हजार तालाब खुदवाए हैं। वह नारियल, शॉल, फूलमाला भी नहीं स्वीकारते थे।
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