दुर्ग। रीतेश तिवारी। बाल मजदूरी रोकने को लेकर भले ही सरकार जितने भी प्रयास करे वो सब दिखावे और खोखले ही साबित हो रहै है।
ताजा मामला भिलाई के सेक्टर 8 का है जहां एक मासूम बच्ची पिछले एक साल घरेलू काम करने को मजबूर थी। बच्ची बिहार की रहने वाली है। बच्ची कैसे भिलाई पहुची और एक नबलिक बच्ची से घर का सारा काम झाड़ू पोछा से लेकर छोटे बच्चो को भी संभालने का काम कैसे कराया जा रहा था ये सब गहन जांच का विषय है। लेकिन जांच कौन करेगा जब जिम्मेदार अधिकारी ही इस पर पर्दा डालते दिखाई दे रहे हो। भिलाई में जिस घर मे काम कर रही थी मासूम वह घर राकेश कुमार का है और राकेश कुमार भिलाई स्टील प्लांट में एजीएम के पद पर पदस्थ बताया जा रहा है।
फिलहाल बच्ची को बालिका गृह में रखा गया है। बाल मजदूरी रोकने की जुम्मेदारी जिला प्रशासन महिला बाल विकास के साथ-साथ पुलिस की भी बनती है लेकिन जिले का आंकड़ा देखा जाए तो एक साल में एक या दो अपराध बाल मजदूरी के दर्ज होते है जब कि चाइल्ड लाइन दर्जनों रेस्क्यू करती है, फिर भी कोई ठोस कार्यवाही न होना के सवाल खड़े करती है।
अब देखना होगा इस मासूम बच्ची के मामले में किस तरह ऊंचे ओहदे पर पदस्थ आरोपी पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी या विभाग की मेहरबानी से ये भी सरकारी नियमो में उलझ कर सिमट जाएगा।
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