बेंगलुरु/दिल्ली। एसजी न्यूज। कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने देश भर में एक नई बहस छेड दी है। कोई भी राजनीतिक पार्टी ऐसा करने का साहस नही जुटा पा रही थी किन्तु कुमारस्वामी ने यह निर्णय लेकर सभी को चौक दिया है, साथ ही इस बात की देश मे बहस सुरु करने पर सभी पार्टियों को मजबूर कर दिया है कि आरक्षण या शासकीय सहायता सिर्फ जाती के नाम पर नही हो सकती। इसका पैमाना गरीबी होना चाहिए।
गहरी धार्मिक आस्था वाले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने अपने पहले ही बजट में घोषणा की, कि इस साल राज्य भर में आदि शंकराचार्य की जयंती का आयोजन किया जाएगा। हिंदू जागरण करने वाले शंकराचार्य ने सातवीं शताब्दी में श्रृंगेरी में शारदा पीठ की स्थापना की थी।
शंकराचार्य जयंती के आयोजन के अलावा ब्राह्मणों का दिल जीतने के लिए 25 करोड़ रुपये का एक ब्राह्मण डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बनाने की भी घोषणा कर दी। ये कॉरपोरेशन राज्य में आर्थिक तौर पर कमजोर ब्राह्मणों के हितों की देख-रेख करेगा। यह बताना जरूरी है कि इस राज्य में सिर्फ 4% ब्राम्हण है उसके बाद भी कुमारस्वामी ने यह निर्णय लिया है।
कुमारस्वामी का कहना है, “बहुत से गरीब ब्राह्मण हैं। दुर्भाग्य से हम उन्हें जातिगत आरक्षण नहीं दे सकते। हमारी सरकार सभी जातियों-धर्मों के लोगों के लिए है। इसी कारण से हमने 25 करोड़ का ब्राह्मण डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बनाया है.”
कुमारस्वामी ने 17 जातिगत मठों को 25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इनमें दलित और आदिवासियों के मठ भी हैं।
चुनावों के कुछ समय पहले उस वक्त के मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने भी ब्राह्मण डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के गठन पर सहमति जता दी थी, लेकिन तब इसका गठन नहीं हो सका।
जातियों को रिझाने के कुमारस्वामी के इस फैसले पर बीजेपी दुविधा में है। क्योंकि पहले की बीएस येदियुरप्पा की बीजेपी सरकार के दौरान ही जातियों के मठों और मंदिरों के लिए धन की व्यवस्था करने की शुरूआत की गई थी। इसके तहत दर्जनों मठों मंदिरों को 100 करोड़ से ज्यादा राशि दी गई।
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