मुंबई, 04 जनवरी 2020. देश भर में ऑटोमोबाइल, रियल स्टेट सहित तमाम इंडस्ट्री मंदी की चपेट में है अब ज्वेलर्स इंडस्ट्री भी इसकी जबरजस्त चपेट में आने वाली है. नोटबंदी के दौरान बैंकों में ज्वेलर्स के कैश डिपॉजिट पर इनकम टैक्स विभाग सख्त हो गया है. इन ज्वेलर्स को कैश डिपॉजिट पर 31 दिसंबर 2019 तक एसेसमेंट फाइल करनी थी, लेकिन देशभर के करीब 10 हजार जूलर्स एसेसमेंट फाइल करने में नाकाम रहे, इसीलिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से रिकवरी नोटिस भेजा गया है. नोटिस का 20 प्रतिशत जमा करने पर ही ज्वेलर्स नोटिस के विरुद्ध अपील दाखिल कर सकेगा। एक अनुमान के अनुसार लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का भार इस इंडस्ट्री को पड़ने वाला है
क्या है मामला?
न्यूज़ 18 को दिए इंटरव्यू में इस पूरे मामले पर IBJA (India Bullion and Jewellers Association) आईबीजेए के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने बताया है कि देशभर में करीब 3 लाख ज्वेलर्स है. इसमें से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु के ज्वेलर्स के करीब 10 हजार जूलर्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिला है.
सुरेंद्र मेहता के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से की गई टैक्स रिकवरी की मांग से देशभर के ज्वेलर्स पर 18 से 20 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. ये इंडस्ट्री के लिए नए चुनौती बन सकता है. मेहता का कहना है कि इतनी बड़ी रकम की रिकवरी में मुश्किलें आएंगी. जिन जूलर्स को यह नोटिस मिला है उन्हें अपील दायर करने से पहले कर मांग की कम से कम 20 फीसदी राशि जमा करनी होगी. इससे मंदी भी बढ़ सकती है.
क्या है नोटिस के पीछे का राज?
देश में तीन लाख से अधिक ज्वेलर्स हैं और नोटबंदी के बाद इनमें से कई सोने के ज्वेलर्स की बिक्री के लिए पुराने नोटों को लेने में बेहद सक्रिय थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी. तब व्यापारियों को उस दिन रात 12 बजे तक नकद बिक्री पर पुराने नोट लेने की अनुमति दी गई थी. कई ज्वेलर्स उसके बाद भी बहुत दिनों तक प्रतिबंधित नोटों को लेते रहे.
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