बिलासपुर, 07 फरवरी फरवरी 2020, सरगुजा संभाग के आयुक्त कार्यालय अजीबो गरीब मामला सामने आया है. सरगुजा आयुक्त कार्यालय में पदस्थ अधीक्षक द्वारा फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने का आरोप लगा था। अधीक्षक ने 1982 में गोंड़ जाति का प्रमाण पत्र लगाकर आयुक्त कार्यालय में द्वितीय श्रेणी लिपिक के पद पर नौकरी शुरू की थी। विभाग के आरोप के अनुसार फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने की शिकायत अजाक ने विभाग में की थी। विभाग द्वारा मामला छत्तीसगढ़ उच्चस्तरीय छानबीन कार्यालय को भेजा गया था। जांच में गोंड़ जाति होना गलत पाया गया है। आयुक्त के निर्देश पर उपायुक्त ने इसकी शिकायत कोतवाली में दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले में अपराध दर्ज कर लिया है। यह ठीक सेवानिवृत्त होने से पहले किया गया 36 साल नौकरी पर रहने में किसी को पता नहीं चला?
अधीक्षक रामाशीष सिंह के विरुद्ध उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति के द्वारा गलत जाति प्रमाण पत्र देने के संबंध में जांच की गई थी तथा उक्त जांच के आधार पर उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा रामाशीष सिंह के जाति को सही नहीं मानते हुए कार्यवाही करने हेतु कमिश्नर सरगुजा को निर्देशित किया गया था जिसके आधार पर कमिश्नर सरगुजा के द्वारा थाना अंबिकापुर में अपराध दर्ज कराने हेतु पत्र लिखा गया था, जिसके आधार पर थाना अंबिकापुर के द्वारा रामाशीष सिंह के विरुद्ध धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है.
हाईकोर्ट कार्यवाही को किया स्थगित
कार्यवाही से व्यथित रामाशीष सिंह ने सभी तथ्यों को लेकर अंबिकापुर के अधिवक्ता डी०के०सोनी के माध्यम से बिलासपुर उच्च न्यायालय स्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज परांजपे के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक डब्ल्यू०पी० एस०/834/ 2020 रामाशीष सिंह प्रति छत्तीसगढ़ शासन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें दिनांक 6/2/ 2020 को माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा उपरोक्त प्रकरण की सुनवाई करते हुए उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति की अनुशंसा की कार्यवाही को स्थगित करने का आदेश दिया गया तथा उच्च स्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति की अनुशंसा पर की गई समस्त कार्यवाहीयो जिसमें प्रथम सूचना पत्र तथा विभागीय कार्यवाही को भी स्थगित करने का आदेश दिया गया है।
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