ब्यास मुनि द्विवेदी, रायपुर 19 फरवरी 2020, सुप्रीम कोर्ट के तल्ख रवैय्या और एजीआर वसूली के आदेश के बाद टेलिकॉम इंडस्ट्री पूरी तरह से डूबने की कगार पर खड़ी है. भारत भले ही दुनिया के सबसे बड़े टेलीकॉम बाजारों में शुमार होता हो,लेकिन इस समय भारत में यह बाजार बुरे दौर से गुजर रहा है. टेलीकॉम कंपनियों को लगभग 1.4 7 लाख करोड़ की रकम सरकार को चुकानी और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च तक समय सीमा तय थी, एयरटेल ने हजार करोड़ रूपये जमा हैं. देश की बड़ी कंपनियों में से वोडाफोन, आइडिया, भारती एयरटेल के लिए यह फैसला मुश्किल वक्त में आया है. यह वह समय है जब सभी टेलीकॉम कंपनियां लगभग पिछले दो तिमाही से लगातार घाटे में चल रही हैं.
मुकेश अंबानी ने “जियो और मरो” की कर दिया हालात
जिओ के आने के बाद मोबाइल फोन के बाजार में भूचाल सा आ गया है. मुफ्त पर फ़ोन की साड़ी सुविधा देने के बाद जिओ को 10 करोड़ ग्राहक कुछ ही दिनों में मिल गए. अब जिओ उसी में पैसे लेने लगा लेकिन बाकी जो कंपनियां बाजार में थी, एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया इन सभी की माली हालात बहुत खराब हो चुकी है. दूसरी कंपनियों को डूबने के लिए क्या क्या यह सोची रणनीति थी? ऐसे दौर में सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन कंपनियों के लिए अंतिम सांस लेने जैसा हो गया है.
जिओ ने पहले तो फ्री का ऑफर लाया उसके बाद कुछ सस्ता उसके बाद और महंगा कर दिया लेकिन जब तक जियो पैसा लेना शुरू किया तब तक अन्य कंपनियां पूरी तरह से टूट चुकी थी. इसी दौरान इन कंपनियों से हजारों करोड़ रुपए की वसूली कंपनियों में ताला लगने की जैसी स्थिति पैदा कर दी है.
सरकारी कंपनियां भी खस्ताहाल
सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल कि हालात पहले से ही खस्ता है. अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं है. बीएसएनएल को अब ग्राहकों से पैसे जुटाने के लिए तरह-तरह की स्कीम घोषणा करनी पड़ रही है. बीएसएनल भी अपने हजारों कर्मचारी छांट रही है. बीएसएनएल खुद अंतिम सांस गिन रही है. सरकार ने बेचने का फैसला ले लिया है.
क्या होगा भविष्य?
अगर सरकार ने इसका कोई रास्ता नहीं निकाला तो जल्द ही टेलीकॉम इंडस्ट्री में सिर्फ जिओ बचेगा। अन्य कंपनियां वोडाफोन, आइडिया, भारती एयरटेल के बंद होने की स्थिति आ सकती है. ऐसे में एक कंपनी का होना ग्राहकों के लिए संभवत है खतरनाक साबित हो सकता है. एक कंपनी का बाजार में एकाधिकार हो जाएगा। जब एकाधिकार हो जाता है तो बाजार में प्राइस प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाती है. ग्राहक को मनमानी पैसा देना पड़ेगा जो भी कंपनी निर्णय लेगी उसे मानना मजबूरी होगी। ऐसे हालात में सरकार को किसी भी तरह से बीएसएनल को बचाना बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है. बाजार की यह स्थिति किसी के लिए भी अनुकूल नहीं है.
मंदी और बेरोजगारी के हालात
अकेले वोडाफोन में लगभग 50000 कर्मचारी काम करते हैं इसके अलावा एयरटेल और आइडिया में भी लगभग इतने कर्मचारी काम कर रहे हैं. अगर यह कंपनियां बंद होती हैं. तो टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक बहुत बड़ा बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. साथ ही यह पूरे इंडस्ट्री के बैठने से मंदी आना तय है. अब ऐसे में सरकार का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होगा। लाखों बेरोजगार हो जायेंगे।
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