रायपुर। डिजिटल छत्तीसगढ़ की राह में लगातार रुकावट आ रही है। प्रदेश के सचिवालय को सबसे पहले डिजिटल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन छह साल में सिर्फ छुट्टी का आवेदन ही डिजिटल हो पाया है। जो काम ऑनलाइन हो चुके हैं उनमें भी बार-बार बाधा आ रही है। हद तो यह है कि पिछले 20 दिन से मुख्यमंत्री जनदर्शन की महत्वपूर्ण वेबसाइट ही बंद हो गई है। इससे पहले आईएएस स्थापना की वेबसाइट ठप पड़ गई।
राज्य शासन सचिवालय के डिजिटलाइजेशन को लेकर गंभीर तो है पर अफसरशाही का शिकार हुई यह योजना परवान चढ़ती कहीं से नजर नहीं आती। डिजिटल सचिवालय को लेकर बीच-बीच में बैठक होती है। हर बैठक में अगले छह महीने में सचिवालय को पूरी तरह पेपरलेस करने का वादा कर दिया जाता है। इसके आगे होता कुछ नहीं। सीएम जनदर्शन की वेबसाइट बंद होना एक बेहद गंभीर मामला है।
इस वेबसाइट में मुख्यमंत्री को मिले सभी आवेदनों को ऑनलाइन दर्ज किया जाता है। जिस विभाग या जिले से संबंधित शिकायत होती है वह विभाग या जिला उसे ऑनलाइन देखता है। समस्या का निराकरण करने के बाद ऑनलाइन ही यह दर्ज किया जाता है कि काम हुआ या नहीं। इसी आधार पर जनदर्शन से लोगों को मिली राहत के आंकड़े तय किए जाते हैं। जनदर्शन की वेबसाइट बंद होने का मतलब है कि मुख्यमंत्री को मिले आवेदनों पर कार्रवाई ठप है।
2012 से चल रहा काम
सचिवालय को डिजिटल बनाने का काम 2012 से किया जा रहा है। एनआइसी को दरकिनार कर एक मल्टीनेशनल कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया है। कंपनी ने कुछ साल पहले एक सॉफ्टवेयर विकसित किया था लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसे उपयोग में नहीं लाया जा सका और मंत्रालय को डिजिटल बनाने का काम पिछड़ गया। तब से काम अटका हुआ है।
पुरानी फाइलों को डिजिटल बनाने में लग गए छह साल
जिस कंपनी ने ठेका लिया है वह लगातार सचिवालय की पुरानी फाइलों को डिजिटल फार्म मेें लाने में लगी रही। कंपनी ने हर विभाग में अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं। पुरानी फाइलों को डिजिटल तो कर दिया गया लेकिन नई फाइलें अब भी कागजों में चल रही हैं। छुट्टी का आवेदन सरीखे कुछ छोटे-मामलों को छोड़कर बाकी काम नस्ती से हो रहा है। पेपरलेस सचिवालय का लक्ष्य अब भी दूर है।
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