रायपुर/कोरबा।एसजी न्यूज। आये दिन वनांचल में हाथी के हमले से मौत की लगातार घटनाये हो रही है। वन विभाग की एक विस्तृत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि वन अधिकार पट्टे का वितरण और वन क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण ही इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
उप वन मंडलाधिकारी कोरबा दक्षिण की एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया गया है कि वन अधिकार पट्टे के लिए ग्रामीण जंगलों में अतिक्रमण कर रहे हैं। ग्रामीण अतिक्रमण करके खेती करते हैं जिसमे कटहल,आम, केला , महुआ आदि उगते है जिसको खाने के लिए हाथी जंगल से निकलकर अतिक्रमण वाले हिस्से में आते हैं और मानव-हाथी के बीच आमना-सामना हो जाता है।
यह काबिले तारीफ है कि पहली बार किसी अधिकारी ने यथा स्थिति का मेहनत करने रिपोर्ट शासन को शौपा है। ये रिपोर्ट वास्तविकता के बहुत करीब है। क्योंकि हमारे रिपोर्टर भी मानव हाथी द्वन्द के लिए इन्ही परिस्थितियों को ज़िम्मेदार बताते रहे है किंतु अधिकारी यह बात शासन तक पहुचाने में नाकाम रहे है।
गौरतलब है कि कोरबा में ही महज़ दो हफ़्तों के भीतर हाथी के हमले के कारण तीन लोगों की मौतें हो चुकी हैं। कोरबा के उप वनमंडलाधिकारी मनीष कश्यप ने DFO को भेजी गयी जांच रिपोर्ट में उक्त खुलासा किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हाथियों की मौजूदगी की सूचना के बाद किस तरह वन विभाग की टीमें गाँव में जाकर रतजगा कर रही है और ग्रामीणों को सचेत रखने के लिए मुनादी की जा रही है। जांच रिपोर्ट में उप वनमंडलाधिकारी कश्यप ने बेहद स्पष्ट तरीके से लिखा है हाथी के हमले से अगर ग्रामीणों की मौत हो रही है, तो इसके लिए वन अधिकार अधिनियम के दिया जाने वाला पट्टा ही है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जंगल में बढ़ते अतिक्रमण और वन क्षेत्र के लगातार कम होने के कारण हाथियों के विचरण के लिए जगह नहीं बची है। इसलिए भी कई बार हाथी विचरण करते करते ग्रामीण निवासों की तरफ आ जाते हैं और हमले की घटनाएं होती हैं।
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