रायपुर, 21 सितम्बर 2020. कोरोना मर्ज अब काल बन गया है मर्ज से तो आप बच जायेंगे लेकिन हॉस्पिटल के चार्ज से कैसे बच पाएंगे.
छत्तीसगढ़ के हॉस्पिटलो ने कोरोना को “आपदा में अवसर” बना लिया है. सामान्य कोरोना के इलाज का बिल देखकर आपको अटैक आ सकता है.
एक मरीज को रायपुर के नामचीन हॉस्पिटल रामकृष्ण केयर ने 10 लाख रूपये का बिल थमा दिया है. परिजनों के अनुसार 2 लाख पहले ही जमा कर चुके है. 10 लाख का बिल देखकर परिजन सदमे में है.
हॉस्पिटल स्टॉफ भी इसे पहले एस्टीमेट बता रहा था बाद में अन्य वीमारी का बहाना बताने लगा. जबकि बिल/एस्टीमेट में सिर्फ कोरोना बीमारी का जिक्र है.
2 लाख का बेड चार्ज
2 लाख रूपये सिर्फ बेड चार्ज ले रहे है. पता नहीं किस सोने के बेड में लेटाया है. अस्पताल ने मरीज को जिसका चार्ज होटल ताज से भी अधिक है.
1लाख की जाँच, 4.5 लाख की दवाई.
अस्पताल प्रबंधन ने हर चीज का अलग बिल/एस्टीमेट दिया जिसमे सिर्फ जाँच 1 लाख की करा दिया. 4.5 लाख की दवाई खिला दी. जितने में पूरा मेडिकल स्टोर खुल जाता है.
50 हजार की वेंटीलेटर से ऑक्सीजन भी अलग से दी है. इतना ही नहीं 1लाख और भी बताया अन्य खर्चे जो अभी पता नहीं किस काम के है.
शासन के आदेश को दिखा रहे ठेंगा
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राइवेट अस्पताल में भी कोरोना इलाज की दर तय की है लेकिन प्राइवेट अस्पताल उसे ठेंगा दिखा रहे है.
बिल नहीं एस्टीमेट का बहाना
मीडिया और सोशल मीडिया में खबर फैलने के बाद अस्पताल प्रबंधन का कहना है यह बिल नहीं एस्टीमेट है सभी को पता है बिल पैसे चुकाने के बाद ही मिलेगा तो डिमांड एस्टीमेट बनाकर ही होंगी. एस्टीमेट हॉस्पिटल में भर्ती के दौरान ही बना दिया जाता है. लेकिन 10 दिन बाद और 2 लाख भुगतान के उपरांत यह एस्टीमेट था या पैसे के भुगतान के लिये पत्र ये जाँच का विषय है. एस्टीमेट भी है तो सरकारी रेट से कई गुना ज्यादा है. जिस पर कार्याही होनी चाहिए.



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