कांकेर/रायपुर, 5 नवम्बर 202, पहले से बनी हुई एवं अन्य मंदो से स्वीकृत रोड में छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने कांकेर वन वृत्त में विकास एवं पर्यावरण निधि से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 12.82 करोड़ रूपये लगत की 70 किलोमीटर वन मार्गो के मुरमीकरण कार्यो की स्वीकृति वन विभाग को दी थी, जिसकी खबर एसजी न्यूज़ ने 29 अक्टूबर को प्रकाशित की थी. जिसके बाद वन बल प्रमुख एवं प्रधान मुख्यवन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने कार्य को निरस्त करने की सिफारिस कर दी. विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सब कुछ जानते हुए भी एसएसडी बड़गैंया, सीसीएफ वन वृत्त कांकेर, ने कार्य कराने के पक्ष में थे लेकिन पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही कार्य को निरस्त करने की सिफारिस कर दिए. बड़गैय्याँ की सिफारिस पीसीएफ ने नहीं सुनी। इधर पीसीसीएफ की सिफारिस पर छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने 2 नवंबर को पत्र जारी कर उक्त कार्यों की स्वीकृत निरस्त कर दी.
सीसीएफ बड़गैय्या की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
सीसीएफ बड़गैंया के कार्यों पर अब ऊगली उठने लगी है. चूँकि यह कार्य बिना राज्य वन मुख्यालय की जानकारी के स्वीकृत हुआ थे. पूरे मामले की जानकारी बड़गैय्या को होने के बाद भी कार्य निरस्त कराने की जगह कार्य करने के इक्षुक क्यों थे??? यहाँ तक की मिडिया में भी उन्होंने कहा कि टेंडर निकालकर कम दर वाले से कार्य कराया जायेगा। अब पूरे विभाग में यह बात उठने लगी है कि इतने बड़े खेल की जानकारी होने के बाद भी आखिर कार्य कराने में सीसीएफ बड़गैंया का इंट्रेस्ट क्यों था? आखिर बनी बनाई व स्वीकृत हुई सड़कों को बनाने के पीछे क्या खेल होने वाला था सभी को पता है.
जनप्रतिनिधियों ने बड़गैंया के खिलाफ खोला मोर्चा: विधायक ने हटाने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
कुछ ही महीने पहले सरकार ने एसएसडी बड़गैंया के कार्यों से खफा होकर रायपुर वन वृत्त के सीसीएफ पद से हटाकर उनको कांकेर वनवृत्त में ट्रांसफर किया गया था. लेकिन वहां जाते ही जनप्रतिनिधयों ने बड़गैय्या के खिलाफ उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मोर्चा खोल दिया है. यहाँ तक नौबत आ गई की बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं विधायक संतराम नेताम ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बड़गैंया को हटाने की अनुशंसा कर दी है. संतराम नेताम ने मुख्यमंत्री को लिखा है एसएसडी बड़गैंया वनवृत्त कांकेर में मुख्यवन संरक्षक के पद पर पदस्थ हुए हैं वह कार्य के प्रति रूचि नहीं रखते जिसकी वजह से विभागीय कार्य प्रभावित हो रहा है उनका अनिवार्य सेवानृवित का भी प्रकरण लंबित है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विभागीय अमले से अनुकूल व्यवहार नहीं किये जाने से अन्यत्र पदस्थापना किये जाने का का निवेदन है.



क्या था रोड का मामला??
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