3 फ़रवरी 2021। गिधवा -परसदा पक्षी उत्सव 2021 को जैव विविधता बोर्ड के अधिकारियों ने सरकार के सामने अपना नंबर बढ़ने के लिए पक्षियों को ही खतरे में दाल दिया। गिधवा और परसदा के बीच गांव में एक एकड़ जमीन मे दर्जनों ट्रक गिट्टी खेतो मे डाल समतल मैदान बनाया गया, चिडियां के विचरण के बीच रास्ते हेलीपैड का निर्माण किया गया। बड़े-बड़े लाउडस्पीकर लगाये गये। लाल रंग सहित अनेक वर्जित रंग के टेन्ट व झंडे लगाये गये बड़े बड़े बैनर पोस्टर लगाया गया। पचासों कार मोटरगाड़ियों के शोर और धुएँ से वातावरण दहल गया । गाड़ियों के धुएं और सैकड़ों कार्यकर्ताओं के मोबाईल फोन से निकले तंरगों ने गिधवा-परसदा वनक्षेत्र को दूषित कर दिया। पक्षियों के संरक्षण के नाम पर उन्ही के उजाड़ने कि पूरी व्यवस्था अधिकारियों द्वारा की गयी क्योकि पक्षी किसे संरक्षित करना था?? उनके नाम पर सरकार के सामने अपना नंबर बढाकर खुद का संरक्षण करना था। मुख्यमंत्री को गुमराह कर ये करने में सफल रहे। मुख्यमंत्री पक्षी विशेज्ञ नहीं है परन्तु वन विभाग में प्रशासनिक सेवा में बैठे अधिकारी तो विशेष्ज्ञ है उन्हें क्या करना चाहिए क्या नहीं ये तो काम से काम पता ही होगा? किन्तु अपना संरक्षण करने के लिए अधिकारी पक्षियों की भेट चढ़ा देने में कोई गुरेज नहीं किये।
बैनर पोस्टर से पटा इलाका पर्यावरण को जबरजस्त नुकसान
नेताओं और संगठन के लोग पूरे इलाके में कई कुंटल के बैनर पोस्टर रोड, गली मुह्हले में लगाकर पाट दिए। जगह जगह पन्निया (पॉलीथिन बिखरी नजर आयी ये कहा उड़ कर जाएँगी कितने दिनों तक यहाँ का पर्यावरण इससे दूसित होगा अंदाजा लगाना मुश्किल है।



40 हजार से अधिक पहुंची भीड़, हजारों गाड़ियों का लगा मजमा
जैव विविधता विभाग ने जो कार्यक्रम किया वह पूरी तरह राजनितिक रैली में बदल गया. अलग अलग संगठन, पार्टी के नेताओं और समर्थकों की भीड़ लग गयी. अनुमानतः 40 हजार से अधिक लोग पहुचे, साथ ही हजारों गाड़ियों क़ मजमा लग गया. आसपास शांति खोजना मुश्किल हो रहा था.
देर रात तक नशे में चलते रहे तेज ध्वनि में डांस: वन्य जीव प्रेमी निराश
गिधवा जलभराव क्षेत्र मे नाम भर के प्रवासी पक्षी दिखें और परसदा मे पक्षी भय से व्याकुल दिखें सैकड़ों लोगो की आवाजाही ने पूरे गिधवा-परसदा क्षेत्र मे शोर ,उड़ता हुआ धूल ,सीमेंट का उड़ता गुबार ट्रकों से निकला धुआं और आवाजाही उत्पन्न शोर से पूरा वातावरण अशांत हो गया । तालाब के चारो तरफ जेसीबी चलकर जैव विविवधता बर्बाद की गई, तालाब के चारो तरफ बनी मेड कि घास में कीट पतंग रहते है जो चिड़ियों का भोजन होता है उसे समाप्त कर दिया गया। चिड़ियों की तादात मे रोज की अपेक्षा इन दिनों कम नजर आये। देर रात तक कई लोग नशे में तेज ध्वनि में बजते बाजे गाजे में नाचते नजर आये। जो भी पक्षी देखने गए वो वहा की दुर्दशा देख निराश हुए लेकिन रात भर नाच गाना कर अधिकारी खुश नजर आये।
डीएफओ की अच्छी मंशा को उच्च अधिकारीयों ने पक्षीयो की दुर्दशा कर अपने लाभ में बदल दिया
दरअसल यह प्रोग्राम दुर्ग डीएफओ धम्मसील का सुझाव था कि गांव में चिड़िया आती है जिनका शिकार गांव या आसपास के लोग करते हैं। इन्हे संरक्षित करने के लिए गांव वालों को इससे जोड़कर पक्षियों को बचाया जाये और ईकोटूरिस्म को बढ़ावा दिया जाए। जिससे गांव वालों को आमदनी होगी और पक्षी भी बचे रहेंगे। डीएफओ का सुझाव और मंशा अच्छी थी गांव वालों ने भी बढ़चढ़कर डीएफओ का सहयोग किया लेकिन सुझाव ऊपर पहुंचने से उच्च अधिकारियों ने इसे अपने लाभ के लिए पक्षी विचरण जैसे शांत जगह को लॉस बेगास बना दिया, रात भर उच्च ध्वनि में नाच गाने करवाए और मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर वही उतरवा दिए आस पास कि बायोडायवर्सिटी को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया।
छोटे से तालाब में पक्षियों के बीच चलाई नाव
छोटे से तालाब में पक्षियों को बीच नाव चलाकर उन्हें डिस्टर्ब किया गया बड़े तालाबों में नाव चलाना ठीक लेकिन छोटे से जगह में जहा पक्षी रह रहे है वही जाकर उन्हें डिस्टर्ब करना कितना उचित था?



विभाग की लापरवाही से ये अंतिम पक्षी महोत्वस बन जायेगा : नितिन सिंघवी, वन्य जीव प्रेमी
वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने सुयश ग्राम से कहा वन विभाग द्वारा पक्षियों के साथ बहुत बड़ा दुराचार किया गया है। पक्षी शांत प्रिय होता है छोटा सा भी कोलाहल बर्दास्त नहीं कर पाता है। जिस तरह से अधिकारियों ने बायोडायवर्सिटी को नुकसान पहुंचाया है उससे हो सकता है अगले वर्षों में यहाँ चिड़िया आना बंद कर दें। प्रवासी पक्षी अपने रहवास बदल सकते हैं छत्तीसगढ़ का प्रथम चिड़ियां उत्सव अंतिम चिड़ियां उत्सव हो सकता है।
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