ब्यास मुनि द्विवेदी, रायपुर, 11 अप्रैल 2020. कोरोना के कहर से देश-प्रदेश ही नहीं पूरा विश्व त्राहिमाम कर रहा है. इस संकट की घड़ी मे कंपनियों को दान देने के लिये राज्य और केंद्र सरकारें प्रोत्साहित कर रही हैँ. लेकिन क्या इस संकट की घड़ी मे भी केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ धोखाधड़ी किया है? आखिर कंपनियां #PMCARES में CSR का पैसा दे सकती हैं लेकिन राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोष में क्यों नहीं?
यह महामारी का समय है, हर राज्य को संसाधनों की ज़रूरत है. अभी जब #PMCARES की वैधता पर ही सवाल है कि जब प्रधानमंत्री राहत कोष है तो नया कोष क्यों बनाया गया? यह कहा नहीं जा सकता कि वहां से राशि निकल कर राज्यों को जा भी सकती है या नहीं? ऐसे कई सवाल खड़े हैँ. इसी बीच मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर ने जो दान मे मिल रहे CSR के फण्ड के लिये टैक्स मे मिलने वाली छूट के लिये क्लैरिफिकेशन दिया है वह चौंकाने वाला है.
मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर के सर्कुलर क्रमांक 15/2020 के अनुसार अगर कोई कंपनी CSR मद से #PMCare Fund मे दान देती है तो उसमे टैक्स की छूट मिलेगी, लेकिन अगर यही दान “मुख्यमंत्री राहत कोष” या “राज्य राहत कोष कोविड-19” मे देता है तो टैक्स मे छूट नहीं होंगी.
यह तो ऐसा ही है कि केंद्र को दान-पुण्य! राज्य को दान- पाप?
प्रधानमंत्री जी आपकी ज़िम्मेदारी पूरे देश की है. आप सभी राज्यों के लिए भी उत्तरदायी हैं. कम से कम उन कंपनियों को तो छूट दीजिए जो उन्ही राज्यों से ही पैसा कमाती हैं. उन राज्यों की जनता का हक़ है की विपत्ति मे उनके राज्य से कमाने वाले कम आएं. ऐसा करने से कम से कम छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और उत्तराखंड जैसे छोटे और सीमित संसाधनों वाले राज्यों को कुछ सहायता मिल सकेगी.



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