दिल्ली, 04 मई 2020, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने घर लौटने की अनुमति मिल गई है। लेकिन केंद्र सरकार ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला लिया है। इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. राहुल गाँधी ने सवाल उठाया कि जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकती है और गुजरात के सिर्फ एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं तो मजदूरों को निशुल्क घर भेजने की रेलवे व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती है।
सोनिया गांधी ने बयान जारी कर कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों और कामगारों की इस निःशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार बार उठाया है। दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने।
इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा।”
उन्होंने कहा कि श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन। उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी।
सवाल या भी जब विदेश से मुफ्त में हवाई जहाज से ला सकते हैं तो श्रमिकों के लिए निःशुल्क रेल यात्रा क्यों नहीं?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?”
जरा इन पर भी नजर डालिये, किस पार्टी के खजाने में कितना है धन?
जब कांग्रेस पार्टी ने मजदूरों के रेल का खर्च उठाने का ऐलान कर दिया है तो ये जानना जरुरी है कि राष्ट्र सेवा में लगी इन पार्टियों के पास कितना धन है. एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय दलों ने जानकारी चुनाव आयोग को दी है उसके अनुसार वर्ष 2018-19 के बही खता में सबसे अधिक भाजपा को पास 2410 करोड़ चंदे में मिले हैं वही 918 करोड़ के साथ कांग्रेस को दूसरे नंबर में है. सवाल यह भी उठने लगे की पार्टियों के अकूत पैसे का उपयोग क्या सिर्फ चुनाव में वोट जुगाड़ने के लिए होता है.



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