नई दिल्ली, 18 जून 2020. पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर देश में चाइनीज प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की मुहिम तेज हो गई है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह चीन इस ‘बहिष्कार लहर’ से बचने के लिए भारतीय उपभोक्ताओं की नजर में धूल झोंकने की कोशिश में जुटा है।
लिखता है “मेड इन पीआरसी”
चीन उन चालाकियों में जुट गया जिससे अधिकतर भारतीय खरीदारों को पहली नजर में यह पता ही ना चले कि प्रॉडक्ट चाइनीज है। कोई प्रॉडक्ट किस देश में बना है यह पैकेटे और प्रॉडक्ट पर लिखा होता है। जैसे भारत में बने प्रॉडक्टर पर लिखा होता है ‘मेड इन इंडिया’, इसी तरह चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर लिखा होता था ‘मेड इन चाइना’। यानी यह पहचान करना बहुत आसान था कि कौन सा सामान भारतीय है और कौन सा चाइनीज। इसी आसान पहचान को खत्म करने के लिए चीन ने अब अपने प्रॉडक्ट्स पर ‘मेड इन चाइना’ लिखना बंद कर दिया है अब वह लिखता है मेड इन पीआरसी।
पीआरसी का मतलब है पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना। शायद उसकी सोच रही हो कि भारतीय उपभोक्ता पीआरसी लिखा देख सामान खरीद लेंगे, वे समझ नहीं पाएंगे कि यह असल में मेड इन चाइना है। इतना ही नहीं और भी चालाकियां इसके अलावा चीन कर रहा है जिससे भारतीय जनता गुमराह हो.
प्रॉडक्ट्स को एकदम भारतीय लुक
चीन अपनी चालाकियों के लिए जाना जाता है। चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर मेड इन पीआरसी लिखने के साथ ही उसने अपने प्रॉडक्ट्स को एकदम भारतीय लुक देने की भी कोशिश की है। इसके तहत वह प्रॉडक्ट्स के नाम इस तरह रखता है जिससे वे भारतीय प्रतीत हों।
चाइनीज भाषा का इस्तेमाल नहीं
इसके अलावा वह पैक्ट्स पर कहीं भी चाइनीज भाषा में कुछ नहीं लिखता है, सभी जानकारी और दिशानिर्देश अंग्रेजी में ही लिखता है, यहां तक कि कई प्रॉडक्ट्स पर तो वह हिंदी में भी लिखने लगा है। इसके अलावा यदि किसी पैकेट पर कोई तस्वीर लगानी है तो वह भारतीय चेहरों की तस्वीर ही छापता है। यानी पूरी तरह प्रॉडक्ट आपको भारतीय ही महसूस होगा।
जनता तो झोला लेकर चीन जाती नहीं तो सामान आता कैसे है?- समीर तिवारी
रायपुर रहवासी समीर तिवारी का कहना है कि आम आदमी चीन का सामान लेने बॉर्डर तो जाता नहीं है, तो फिर कौन लोग है जो चीन से सामन लेकर यहाँ आते और जनता को गुमराह करके बेचते है? सरकार सीधे उन पर कार्यवाही क्यों नहीं करती? ऐसे व्यापारियों पर सीधे देश द्रोह का मामला बनना चाहिए। क्या सब कुछ जनता के भरोसे छोड़ दिया गया है या सरकार की भी कोई ड्यूटी है? ऐसे व्यापारियों का देशभर में विरोध होना चाहिए. जनता को नहीं पता है प्रोडक्ट कहा का बना है पर बेचने वाले को तो पता है.
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