रेखा दुबे तिवारी, 10 मई 2020. हमारे लिये माँ हर वक्त हर जगह मौजूद रहती है। हमारे जन्म लेने से उनके अंतिम पल तक वो हमारा किसी छोटे बच्चे की तरह ख्याल रखती है। जब हम खुद माँ बन चुके होते हैँ तब भी माँ के लिये बेटी एक छोटी सी बच्ची ही रहती है. हम अपने जीवन में उनके योगदानों की गणना नहीं कर सकते है। यहाँ तक कि हम उनके सुबह से रात तक की क्रिया-कलापों की गिनती भी नहीं कर सकते।
माँ के पास ढ़ेर सारी जिम्मेदारियाँ होती हैं वो उसको लगातार बिना रुके और थके निभाती है। वो एकमात्र ऐसी इंसान है जिनका काम बिना किसी तय समय और कार्य के तथा असीमित होती है। हम उनके योगदान के बदले उन्हें कुछ भी वापस नहीं कर सकते.
हमारे समाज में एक बेटी के लिये सबसे बड़ी बात यह है कि जब वह बड़ी हो जाती है अपनी उस माँ के साथ नहीं रह पाती जो इस जीवन की जन्मदाता है.
लेकिन इसके साथ एक सुखद अनुभव यह भी है कि बेटियों को एक नहीं दो माँ का प्यार मिलता है. अगर एक माँ जन्म देकर पालपोसकर बड़ा करती है. तो विवाह के बाद एक माँ जीवन के रास्ते दिखाती है.
बेटियां पुरुषों से इस मामले में भाग्यशाली होती हैँ कि उन्हें दो माताओ का प्यार मिलता है. सिर्फ इतना ही नहीं एक माँ का मातृत्व क्या होता है इसका सुखद अनुभव भी बेटियों को उस समय होता है जब वह स्वयं एक माँ बन जाती हैँ. जिससे पुरुष वंचित रहते हैँ. यही वजह है मै बेटी होना खुद को भाग्यशाली समझती हूं. मुझे जन्म देने वाली माँ जैसे प्यार ससुराल में भी माँ से हमेशा मिला.
आज खुद एक माँ होने के बाद माँ की भावना समझ में आती है. अपने बच्चों के लिये एक माँ के रूप में जो भी काम करते है उसमे कभी थकान या आलास जैसा नहीं होता. बच्चों की खुशी के सामने खुद का दुख दर्द कभी महसूस नहीं करते. बस यही तो माँ है जो अपने बच्चे के लिये खुद को ही भूल जाती है….शब्दों में माँ का वर्णन करना संभव नहीं है… माँ एक एहसास हैँ…
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