रायपुर, 18 नवंबर 2020. वन विभाग में सूचना प्रदाय करने में लगाई जा रही अड़ंगेबाजी और लापरवाही अब उच्च अधिकारियों को भी भारी पड़ने लगी है।
वन विभाग की कार्यप्रणाली से नाराज होकर सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने वन विभाग के तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य संरक्षक (वन्य प्राणी) जे.ए.सी.एस राव को डीम्ड जन सूचना अधिकारी मानते हुऐ दो प्रकरणों में 25-25 हजार के पेनाल्टी शो काॅज नोटिस जारी किये है साथ ही नोटिस जारी कर पूछा है कि कर्तव्यों के निर्वहन में शिथिलता बरतने के लिये क्यों न अनुशासात्मक कार्यवाही के लिये विभाग प्रमुख को अनुशंसा की जावे। इस प्रकार पहली बार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को रू. 25000 के पेनाल्टी नोटिस और अनुशासात्मक कार्यवाही के नोटिस जारी किये गए है। इसी प्रकार के नोटिस जन सूचना अधिकारी एस.जे.एच. रिजवी (सेवानिवृत्त) को भी जारी किया गया है।
क्या है मामले?
आवेदक नितिन सिंघवी ने चिल्पी रेगाखार सड़क के संबन्ध में NTCA से प्राप्त पत्र तथा सोनू हाथी के प्रकरण से संबन्धित जानकारी चाही थी जिसे जन सूचना अधिकारी ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे.ए.सी.एस राव से अनुमोदन प्राप्त कर यह कहते हुऐ देने से मना कर दिया गया कि प्रकरण न्यायालय में विचारधीन है, जिसमें आवेदक वादी है। वांछित सूचना देने से प्रकरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सूचना देने से न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में मना नहीं कर सकते
सूचना आयोग को प्रकरण की सुनवाई के दौरान अपीलार्थी ने बताया कि सूचना का अधिकार में एैसा कोई प्रावधान नहीं है कि न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने पर सूचना नहीं दी जावेगी। में आवेदन जिस दिनांक को लगाया गया उस दिनांक तक दोनों प्रकरणों का निराकरण न्यायालय द्वारा कर दिया गया था। प्रकरण क्र. सी/1334/2018 तथा सी/1336/2018 में सूचना आयोग ने जे.ए.सी.एस. राव को भी दोषी पाया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भी अनुशासात्मक कार्यवाही का नोटिस
सूचना आयोग अमूनन अपने आदेशों की तामीली करवाने हेतु लोक प्राधिकारियों को आदेशित करता है। आवेदक नितिन सिंघवी के प्रकरण क्र. C/271/2018 तथा C 269/2018 में जन सूचना अधिकारी को नोटिस तामील नहीं कराने के कारण लोक प्राधिकारी प्रधान मुख्या वन संरक्षक को भी नोटिस जारी किया गया है कि नोटिस तामील नहीं करवाने के कारण क्यों ना उनके विरूद्ध अनुशासात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जावे।
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